।। प्रकाशन नीति ।।
सर्वप्रथम प्राप्त शोध-पत्रों को संबंधित विषय विशेषज्ञ/पूर्व-समीक्षक को पूर्व-समीक्षा के लिए भेजा जाता है।
पूर्व-समीक्षक द्वारा शोध-पत्र की गुणवत्ता, मौलिकता, शोध विषय की नवीनता एवं स्रोत सामग्री आदि का मूल्यांकन किया जाता है ।
यदि शोध-पत्र में कुछ बदलाव की आवश्यकता होती है तो सुझाव के अनुरूप शोधार्थी/लेखक को शोध-पत्र वापिस भेजा जाता है और यदि पत्रिका के निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मानक अनुरूप है तो संपादक मंडल को प्रेषित किया जाता है ।
पूर्व-समीक्षक द्वारा जाँच के पश्चात् संपादक मंडल के सदस्य शोध-पत्र की भाषा और उसके तकनीकि पक्ष आदि की जाँच कर आवश्यक संशोधन पश्चात सहायक संपादक को प्रेषित किया जाता है ।
सहायक संपादक द्वारा शोध-पत्रों की मौलिकता, गुणवत्ता, नवीनता, शोध प्रारूप, प्लेगरिज्म और उसकी भाषा आदि की जाँच की जाती है फिर संपादक को प्रेषित किया जाता है ।
संपादक द्वारा पत्रिका के निर्धारित मानकों के आधार पर पुनः शोध-पत्रों की जाँच की जाती है और अंतिम रूप से चयन किया जाता है ।
अंत में चयनित शोध-पत्रों को संपादक द्वारा प्रकाशन और मुद्रण हेतु भेजा जाता है ।
प्रकाशन पश्चात मुद्रित पत्रिका की हार्डकॉपी की एक प्रति संबंधित लेखकों/शोधार्थियों को डाक द्वारा भेजी जाती है ।
पत्रिका में प्रकाशित शोध-पत्रों का सर्वाधिकार संबंधित लेखक, संपादक और प्रकाशक के पास सुरक्षित है।
विविधा शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध-पत्रों के किसी भी अंश का पुन: प्रकाशन या मुद्रित करने से पूर्व संबंधित लेखक और प्रकाशक से अनुमति लेना अनिवार्य है ।
Plagiarism / साहित्यिक चोरी संबंधी
दिशा-निर्देश
v विविधा एक पूर्व-समीक्षित शोध पत्रिका
है जिसमें प्राप्त शोध पत्रों की ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रकाशन पूर्व प्लेगरिज्म
जाँच की जाती है ।
v Plagiarism या साहित्यिक चोरी से तात्पर्य है कि किसी अन्य व्यक्ति के
आलेख, पुस्तक, ऑनलाइन या अन्य किसी भी प्रकार के कथन या विचारों के अंश की हुबहू नक़ल
कर अपने विचार के रूप में लिखना साहित्यिक चोरी के अंतर्गत आता है ।
v बिना सन्दर्भ दिये ही दूसरे के
विचारों को अपना कहना या अपने नाम से प्रकाशित कराना साहित्यिक चोरी मानी जाती है ।
v 15 प्रतिशत से अधिक प्लेगरिज्म होने
की स्थिति में शोध पत्र मौलिक नहीं माना जाएगा । इस प्रकार के शोध पत्रों का विविधा
में प्रकाशन नहीं किया जाता ।
v जब हम किसी दूसरे व्यक्ति या लेखक
के विचारों या कथनों को उद्धरण के रूप में लेते हैं तो संबंधित पुस्तक, पत्रिका या
अन्य जो भी स्त्रोत सामग्री है, उसका सन्दर्भ देना अनिवार्य होता है ।
v जिन
लेखकों द्वारा एक बार से अधिक साहित्यिक चोरी वाले शोध पत्र प्रकाशन हेतु भेजे जाते
हैं तो उन लेखकों और उनके शोध पत्रों को हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जायेगा ।
v चैटजीपीटी
और एआई जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा निर्मित सामग्री मूल कार्य नहीं है, इनके
द्वारा निर्मित शोध पत्रों को प्रकाशित नहीं किया जाता ।
– संपादक (विविधा)
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